न्युरोथैरेपी के परिभाषा
न्युरोथैरेपी एक भारतीय पारंपरिक दवारहित पाद-हस्त कलायुक्त (manipulative), सम्पूर्ण (Holistic) चिकित्सा प्रणाली है , इस थैरेपी के जन्मदाता डॉ. लाजपतराय मेहरा जी है, जिनका जन्म पंजाब के अमृतसर शहर में 23 अगस्त सन 1932 में हुआ है | न्युरोथैरेपी आन्गीरसी ( शरीर के अंगो में बनने वाले रसायन) तथ्यों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है, इस चिकित्सा में नाभि को केंद्र बिंदु मानकर शरीर का उपचार किया जाता है, इस चिकित्सा पद्धति में शरीर के विभिन्न भागों में शरीर के विभिन्न अंगो के लिये विभिन्न ऊर्जा केंद्र (energy centre) निहित होता हैं , इस ऊर्जा केंद्र (energy centre) को निश्चित समय के लिये क्रमानुसार (Sequence) दबाव देने से या आघात या घर्षण देने से शरीर के विभिन्न बिगड़े हुए अंगो या ग्रंथियाँ को अति सूक्ष्म ऊर्जा (Micro Energy) अर्थात प्राण-वायु तथा संवेदना का प्रवाह होने लगता है, जिससे अंग व ग्रंथियाँ पुन: सक्रीय हो जाता है, और उस अंग व ग्रंथियों के बिगड़ने से आये विभिन्न लक्षण व बीमारियाँ स्वत: ही ठीक होने लगते है | इस चिकित्सा प्रणाली में विभिन्न उर्जा केंद्र शरीर के विभिन्न भागों जैसे – सिरा (Veins), धमनी (Artery), स्नायु (Nerve), मांसपेशी (Muscles), अस्थि संधि व ligaments (Joint & ligaments) आदि में निहित होते है | इन भागों में दबाव देने से या आघात या घर्षण देने से ख़ास अंगो व ग्रंथियों के लिये सूक्ष्म ऊर्जा (Micro Energy) अर्थात प्राण-वायु तथा संवेदना निकलते है,जो शारीरिक, मानसिक व अध्यात्मिक विकास में सहायक होते है और अंग विकार स्वत: ही ठीक होने लगते है |
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